Monday, April 26, 2010

जनसंचार

-अन्नी अंकिता
जनसंचार के बच्चे हम

थोड़े हैं नादान, थोड़े है शैतान

पर बगिया के माली हैं बड़े बुद्धिमान।


लक्ष्य की ओर बढ़ने की राह दिखाते

कराते मीडिया से पहचान

पढ़ाते- पढ़ाते इतना हँसाते हमें

कि हो जाता थकान तमाम


दूर – दूर से आए हम बच्चें

करेंगे गौरवान्वित अपने शिक्षक का नाम।

4 comments:

  1. आपकी अशाओं के साथ हमारी शुभकामनाऐं साथ हैं..........अच्छी कविता लिखी हो

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  2. अच्छा लिखा है पर थकान एक स्त्रिंलिग शब्द है सो जाती आता लेकिन वास्तव में सही लिखा है

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  3. sari zemein hi nhi sara aakash hamara ho...........
    bahut aacha likhi ho.......

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