माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय ,भोपाल के जनसंचार विभाग के छात्रों द्वारा संचालित ब्लॉग ..ब्लाग पर व्यक्त विचार लेखकों के हैं। ब्लाग संचालकों की सहमति जरूरी नहीं। हम विचार स्वातंत्र्य का सम्मान करते हैं।
Thursday, April 15, 2010
एक तू ना मिला सारी दुनिया मिले भी तो क्या....
-विकास पाठे
क्या इस शब्द को कितनी खुबसूरती के साथ संगीत बद्द कर कई तरह से पेश किया जा सकता है, यह हमें श्यामलाल बाबूराय से सिखने को मिलता है।कश्मे वादे प्यार वफा सब बातें हैं बातों क्या...., क्या खूब लगता हो..., एक तू ना मिला सारी दुनिया मिले भी तो क्या...., इन सभी गानो में क्या का अलग अलग तरह से बखूबी इस्तेमाल किया गया है।
संगीत की दुनिया में मशहूर श्यामलाल बाबूराय, इस नाम के परिचय से शायद सभी अपरिचित होंगे। लेकिन इनके गीत आज भी हम गुनगुनाते रहते हैं।
जिंदगी से बहुत प्यार हमने किया
मौत से भी मोहब्बत निभायेंगे हम
रोते रोते जमाने में आये मगर
हंसते हंसते जमाने से जायेंगे हम...
जिन्दगी के अंजान सफर से बेहद प्यार करने वाले हिन्दी सिने जगत के मशहूर शायर और गीतकार इंदीवर को जिन्दगी से कितना प्यार था, यह इन पंक्तियों से जानने को मिलता है। 1924 में झांसी के निकट सागर बरूआ नामक स्थान पर जन्मे श्यामलाल बाबु राय या कहे इन्दीवरका बचपन से सपना था की वह संगीत की दुनिया में आये और अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए वे बम्बई आ गए । सपनो की नगरी बम्बई जहाँ सभी के सपने सच होते है , इन्दीवर यहीं कहीं अपने सपने को पूरा होते देखना चाहते थे।
1946, में प्रदर्शित फिल्म डबल क्रास से उन्होंने अपने हिंदी सिने जगत या यूं कहे की अपने सपने को पूरा करने के लिए एक कदम बढाया। लेकिन फिल्म असफल हुई । इसके बाद 5 वर्षो के इंतजार के बाद फिल्म मल्हार ने उन्हें पहचान मिली।
बड़े अरमानो से रखा है बलम तेरी कसम ........, आज भी हमारे बीच में लोकप्रिय है । इस फिल्म के बाद इन्दीवर के सपनो को हवा लग गई । सही पहचान 1963 में बाबु भाई मिश्त्री की फिल्म पारसमणि से मिली । इन्दीवर की जोड़ी निर्माता निदेशक मनोज कुमार कस साथ खूब जमी । मनोज कुमार ने सबसे पहले फिल्म उपकार में उनसे गीत लिखवाये। कल्याण जी आनन्द जी के संगीत में फिल्म उपकार में गीत कस्मे वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या.... श्रोताओं के दिल को छू लेने वाला और आनंदित करने वाला था। इसके अलावा पूरब और पश्चिम में दुल्हन चली....,और कोई जब हृदय तोड़ दे..., सदाबहार गीत लिखकर अलग हीं समा बांधा। 1970 में आयी फिल्म जॉनी मेरा नाम में नफरत करने वालो के सिने में प्यार भर दू .........., और पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले ........., गानों को लिख कर इन्दीवर ने लोगो का दिल जितन लिया । मनमोहन देसाई की फिल्म सच्चा झूठा में मेरी प्यरी बहनिया बनेगी दुल्हनिया..... लिख कर एक अलग तरह के गाने से लोगो परिचित करवाया
१९७५ में फिल्म अमानुष के लिए इन्हें फिल्मफेयर का पुरस्कार मिला
अंत में राजेश खन्ना की फिल्म सफ़र जिसमे इन्दीवर ने लिखा ...
जीवन कही भी ठहरता नहीं है
आंधी से तूफान से डरता नहीं है
तू न चलेगा तो चल देगी रहें
मंजिल को तरसेगी तेरी निगाहें........
अंत में और किसी अनजान चहरे की तलाश में ...
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vikas acha likha hai kash aaj b aise hi singer zinda hote to hme vo mukam phir mil jata jo kabhi hamara pass tha
ReplyDeleteaap aise likha karo taki hamri pidi un logo ko jan sate
अच्छा प्रयास। तुम्हारी विषय पर पकड़ अच्छी है। इन्दीवर झांसी के थे इस कारण भी पढ़ने में मजा आया। अगर संभव हो तो कुछ इस तरह का सीरिज में लिखो। मेरे कहने का आशय है कि और अन्य गीतकार या संगीतकरों की जानकारी देकर इसे कंटीन्यू करो। बढ़िया।
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