-अन्नी अंकिता
जनसंचार के बच्चे हम
थोड़े हैं नादान, थोड़े है शैतान
पर बगिया के माली हैं बड़े बुद्धिमान।
लक्ष्य की ओर बढ़ने की राह दिखाते
कराते मीडिया से पहचान
पढ़ाते- पढ़ाते इतना हँसाते हमें
कि हो जाता थकान तमाम
दूर – दूर से आए हम बच्चें
करेंगे गौरवान्वित अपने शिक्षक का नाम।
nice poem. achha likha hai.
ReplyDeleteआपकी अशाओं के साथ हमारी शुभकामनाऐं साथ हैं..........अच्छी कविता लिखी हो
ReplyDeleteअच्छा लिखा है पर थकान एक स्त्रिंलिग शब्द है सो जाती आता लेकिन वास्तव में सही लिखा है
ReplyDeletesari zemein hi nhi sara aakash hamara ho...........
ReplyDeletebahut aacha likhi ho.......