Tuesday, August 28, 2012

हमने धर्म को माना लेकिन जाना नहीं- आरिफ बेग








      एमसीयू में ईद और राष्ट्रीय सद्भाभावना विषय पर व्याख्यान
भोपाल,25 अगस्त।  पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ बेग का कहना है कि हमने अपने ईश्वर, पैगंबर और भगवान को माना है लेकिन उनकी नहीं मानी है,इसलिए समाज में इतनी समस्याएं पैदा हो रही हैं। वे माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में जनसंचार विभाग के साप्ताहिक आयोजन सार्थक शनिवार में ईद और राष्ट्रीय सद्भाभावना  विषय पर बोल रहे थे। श्री बेग ने कहा कि दुनिया के सभी धर्म प्रेम और भाईचारे में बंधे हुए हैं लेकिन उसके मानने वाले उस धर्म को ठीक से नहीं समझते हैं और उसके अनुसार आचरण नहीं करते इसलिए समस्या पैदा होती है ,क्योंकि जो भी अपने धर्म की शिक्षाएं सही तरीके से आत्मसात करता है वह कभी भी गलत रास्तों पर नहीं चल सकता।
   उन्होंने कहा कि एक-दूसरे न जानने के नाते समस्याएं पैदा होती हैं। उनका कहना था कि राष्ट्रप्रेम से बड़ी कोई चीज नहीं है और हम सभी एक ही परिवार के हिस्से हैं। उनका कहना था कि आजादी के बाद हमने शहीदों का रास्ता नहीं पकड़ा इसलिए आज हम तमाम संकटों और तनावों से घिरे हैं।
  कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो.बृजकिशोर कुठियाला ने कहा कि हमें अपनी एकता और सद्भभावना के फिर से पारिभाषित करने की जरूरत है। क्योंकि सब कुछ सब पर निर्भर है इसलिए हममें आपसी जुड़ाव जरूरी है। किसी के भी गलत करने का असर पूरी मानवता पर होता है। मैं नहीं हम का विचार इसमें हमारा सहायक बन सकता है। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार अशफाक मिशहदी ने कहा कि खुशी पाने और देने का सही तरीकों का नाम धर्म है। हम धर्म की दी गयी शिक्षाओं को नहीं अपनाते, सिर्फ धार्मिक होने का आवरण ओढ़ते हैं। सच्चाई यह है कि अपने धर्म को जान लेने वाला कभी गलत आचरण नहीं कर सकता।
  कार्यक्रम के पूर्व में विद्यार्थी ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जिसमें एकता और सद्भाव को प्रकट करने वाले विचार थे। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार डा. माजिद हुसैन, विजय क्रांति, डा. श्रीकांत सिंह, पुष्पेंद्रपाल सिहं, प्रो. आशीष जोशी,डा. आरती सारंग, अभिजीत वाजपेयी, डा. पी. शशिकला सहित विवि के अध्यापक, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन डा. राखी तिवारी ने किया।

Friday, August 24, 2012

सार्थक शनिवार- 25 अगस्त,2012


जनसंचार विभाग
 सार्थक शनिवार- 25 अगस्त,2012
व्याख्यान एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम 11 बजे
स्थानः पंचम तल स्थित सभागार
ड्रेस कोडः सफेद (WHITE)
विषयः ईद और राष्ट्रीय सद् भावना
मुख्यवक्ताः श्री आरिफ बेग
(पूर्व केंद्रीय मंत्रीः भारत सरकार)
अध्यक्षताः  प्रो. बृजकिशोर कुठियाला
   (माननीय कुलपति महोदय)

सहभागिता से ही सार्थक होगा जनतंत्रः कुठियाला





भोपाल,24अगस्त। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.बृजकिशोर कुठियाला का कहना है कि हमारी संसदीय संस्थाओं को अपनी शुचिता, पवित्रता और महत्व बनाए रखना है तो आम लोगों को भी इन सवालों पर सोचना होगा। क्योंकि कोई भी जनतंत्र लोगों की सहभागिता और संवाद से ही सार्थक होता है।  वे यहां विवि परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे।
   इस अवसर पर कुंजीलाल दुबे संसदीय विद्यापीठ द्वारा आयोजित युवा संसद में लगातार तीसरी बार पहला स्थान पाकर आए विश्वविद्यालय के छात्रों का सम्मान भी किया गया। कुलपति ने उन्हें लगातार तीसरी बार पहला स्थान पाने पर बधाई दी और विद्यापीठ के कार्यों की सराहना की। उनका कहना था वर्तमान स्थितियां संतोषजनक नहीं हैं। संसद और विधानसभाओं में बहस का स्तर कम हो रहा है और जनांकांक्षाओं की अभिव्यक्ति उस रूप में नहीं हो पा रही है जो होनी चाहिए। उन्होंने कहा आज के युवा और मीडिया दोनों मिलकर इस परिदृश्य को बदल सकते हैं।पं. जवाहर लाल नेहरू, डा. लोहिया, मधु लिमये, सुरेंद्र मोहन, चंद्रशेखर, अटलविहारी बाजपेयी, सोमनाथ चटर्जी जैसे सांसदों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इन तमाम नेताओं के योगदान से सीख लेकर हमें अपनी संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा बनाए रखने की जरूरत है। कार्यक्रम का संचालन जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी ने किया। इस अवसर पर डा. श्रीकांत सिंह, पुष्पेंद्रपाल सिंह, डा. पवित्र श्रीवास्तव, डा. मोनिका वर्मा सहित छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

Tuesday, August 21, 2012

खतरनाक है समाज का बाजार में बदलनाः कमल कुमार







भोपाल,18 अगस्त। प्रख्यात उपन्यासकार एवं कथाकार कमल कुमार का कहना है कि स्त्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह कि वह समाज से बाजार बन रहे समय में किस तरह से प्रस्तुत हो। वे यहां माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में जनसंचार विभाग के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मीडिया और महिलाएं विषय पर व्याख्यान दे रही थीं। उन्होंने कहा कि आर्थिक उदारीकरण की लहर ने उपभोक्तावादी संस्कृति को बढ़ावा दिया है। मीडिया भी इसमें प्रतिरोध करने के बजाए सहयोगी की भूमिका में खड़ा है। ऐसे में रिश्तों का भी बाजारीकरण हो जाना खतरनाक है। बाजार ने महिलाओं को सही मायने में उत्पाद में बदल दिया है, मीडिया की नजर भी कुछ ऐसी ही है।
    उनका कहना था कि उच्च लालसाओं और इच्छाओं ने समाज के ताने-बाने को हिलाकर रख दिया है। हमारे परंपरागत मूल्य ऐसे में सकुचाए हुए से लगते हैं। उनका कहना था कि स्त्री अगर उत्पाद बनती है तो उसे डिस्पोज भी होना होगा। यह एक बड़ा खतरा है जो स्त्रियों के लिए बड़े संकट रच रहा है। उन्होंने कहा कि युवतियों की नई पीढ़ी में ज्यादा खुलापन और आत्मविश्वास है, किंतु महिलाएं इसके साथ आत्ममंथन और संयम का भी पाठ पढ़ें तो तस्वीर बदल सकती है।   
    कमल कुमार ने कहा कि हमारे समाज में स्त्रियों के प्रति धारणा निरंतर बदल रही है। वह नए-नए सोपानों का स्पर्श कर रही है। माता-पिता की सोच भी बदल रही है ,वे अपनी बच्चियों के बेहतर विकास के लिए तमाम जतन कर रहे हैं। स्त्री सही मायने में इस दौर में ज्यादा शक्तिशाली होकर उभरी है। किंतु बाजार हर जगह शिकार तलाश ही लेता है। वह औरत की शक्ति का बाजारीकरण करना चाहता है। हमें देखना होगा कि भारतीय स्त्री पर मुग्ध बाजार उसकी शक्ति तो बने किंतु उसका शोषण न कर सके। आज के मीडियामय और विज्ञापनी बाजार में औरत के लिए हर कदम पर खतरे हैं। पल-पल पर उसके लिए बाजार सजे हैं।  कार्यक्रम का संचालन डा. राखी तिवारी ने किया तथा आभार प्रदर्शन विभागाध्यक्ष संजय द्विवेदी ने किया। आयोजन में डा. संजीव गुप्ता, अजीत कुमार, जगमोहन राठौर सहित जनसंचार विभाग के विद्यार्थी मौजूद रहे।

Thursday, August 16, 2012

सार्थक शनिवार -18 अगस्त,2012 का विस्तृत कार्यक्रम


 सार्थक शनिवार- 18 अगस्त,2012
क्विजः 12 बजे से 1 बजे
विषयः ओलंपिक और भारत
  क्विज मास्टरः आदित्य उत्तम (एमएएमसी-3) एवं निशांत (एमएएमसी-1)
सांस्कृतिक कार्यक्रमः 1 बजे से 2.30 बजे दोपहर
थीमः राष्ट्रभक्ति
ड्रेस कोडः सफेद (White)
संचालकः  मयूरेश विश्वकर्मा (एमएएमसी-3) एवं मनीष कुमार दुबे (बीएएमसी-3)
लंच ब्रेकः 2.30 से 3.30 बजे दोपहर
व्याख्यानः 3.30 बजे से 4.30 बजे सायं
विषयः मीडिया और महिलाएं
वक्ताः डा.कमल कुमार
(देश की प्रख्यात लेखिका एवं उपन्यासकार, नई दिल्ली)