भोपाल,18 अगस्त। प्रख्यात उपन्यासकार एवं कथाकार कमल
कुमार का कहना है कि स्त्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह कि वह समाज से बाजार
बन रहे समय में किस तरह से प्रस्तुत हो। वे यहां माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं
संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में जनसंचार विभाग के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में ‘मीडिया और महिलाएं ’ विषय पर व्याख्यान दे रही थीं। उन्होंने
कहा कि आर्थिक उदारीकरण की लहर ने उपभोक्तावादी संस्कृति को बढ़ावा दिया है।
मीडिया भी इसमें प्रतिरोध करने के बजाए सहयोगी की भूमिका में खड़ा है। ऐसे में
रिश्तों का भी बाजारीकरण हो जाना खतरनाक है। बाजार ने महिलाओं को सही मायने में
उत्पाद में बदल दिया है, मीडिया की नजर भी कुछ ऐसी ही है।
उनका
कहना था कि उच्च लालसाओं और इच्छाओं ने समाज के ताने-बाने को हिलाकर रख दिया है।
हमारे परंपरागत मूल्य ऐसे में सकुचाए हुए से लगते हैं। उनका कहना था कि स्त्री अगर
उत्पाद बनती है तो उसे ‘डिस्पोज’ भी होना होगा। यह एक बड़ा खतरा है जो स्त्रियों के लिए बड़े संकट रच
रहा है। उन्होंने कहा कि युवतियों की नई पीढ़ी में ज्यादा खुलापन और आत्मविश्वास
है, किंतु महिलाएं इसके साथ आत्ममंथन और संयम का भी पाठ पढ़ें तो तस्वीर बदल सकती
है।
कमल कुमार ने कहा कि हमारे समाज में स्त्रियों के प्रति धारणा निरंतर बदल
रही है। वह नए-नए सोपानों का स्पर्श कर रही है। माता-पिता की सोच भी बदल रही है ,वे
अपनी बच्चियों के बेहतर विकास के लिए तमाम जतन कर रहे हैं। स्त्री सही मायने में
इस दौर में ज्यादा शक्तिशाली होकर उभरी है। किंतु बाजार हर जगह शिकार तलाश ही लेता
है। वह औरत की शक्ति का बाजारीकरण करना चाहता है। हमें देखना होगा कि भारतीय
स्त्री पर मुग्ध बाजार उसकी शक्ति तो बने किंतु उसका शोषण न कर सके। आज के
मीडियामय और विज्ञापनी बाजार में औरत के लिए हर कदम पर खतरे हैं। पल-पल पर उसके
लिए बाजार सजे हैं। कार्यक्रम का संचालन डा. राखी तिवारी ने किया
तथा आभार प्रदर्शन विभागाध्यक्ष संजय द्विवेदी ने किया। आयोजन में डा. संजीव
गुप्ता, अजीत कुमार, जगमोहन राठौर सहित जनसंचार विभाग के विद्यार्थी मौजूद रहे।
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