-देवेशनारायण राय
भारत विभिन्न सभ्यताओं संस्कृतियों का देश है। हर राज्य की अपनी संस्कृति अपनी पहचान है, हर राज्य की क्या हर शहर की अपनी संस्कृति अपनी पहचान है।
बनारस उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के तट पर बसा एक धार्मिक शहर है जो अपनी संस्कृति, मस्ती और ज्ञान के लिये पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। हिन्दू मतावलम्बियों के लिये बनारस का बडा महत्व है बनारस को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है।प्रचीन काल में इसका क्षेत्रफल 25 कोश हुआ करता था पर अब इसका विस्तार हो गया है।बनारस की एक विशेषता यह है की इसके दो और प्रचलित नाम है काशी औऱ वारणसी पूर भारत में यही एक ऐसा शहर है जिसके तीन नाम हो और तीनो समान रूप से प्रचलित हो।
इन नामों का एक सार्थक अर्थ है वरूणा और असि नदींयो के बीच बसे होने के कारण इसे वाराणसी कहा जाता है, शिव की नगर होने के कारण इसे काशी कहते हैं,रसिको का शहर होने के नाते इसे बनारस कहते है।25 कोश के इस छोटे शहर में चार विश्वविद्यालय है जिसमें से बीएचयू क्षेत्रफल के दृष्टी से एशीया का सबसे बडा विश्वविद्यालय है।
बनारस पूरे विश्व में अपने मनोरम घाटो और आध्यात्मिक ज्ञान के लिए प्रसिद्ध है। विश्व कोनेकोने से पर्यटक यहाँ की संस्कृति को जानने के लिए बडी संख्या में बनारस आते है। कहा जाता है बनारस बाबा भोले की नगरी है 12 ज्योतिर्लिंगो में से एक विश्वनाथ ज्योर्तिलिंग यहीं है सिर्फ यही बनारस के प्रसिद्धि के कारण नहीं है यहां की हर चीज़ अपने आप में आकर्षक है यहाँ का खान पान, रहन सहन बोल चाल सब कुछ एक प्रचलित कहावत है की शामे अवध और सुबहे बनारस बडी हसीन होती है। बनारस का सुबह बडा आकर्षक होता है भोर में गंगा के घाटो पर नहाते लोग और दूसरी ओर से उगता सूरज यूँ लगता है मानो गंगा से नहा कर निकल रहा हो मंदिरो के घंटों घडियालो की ध्वनी वेद मंत्रो का उच्चारण वतावरण को एक दिव्यता प्रदान करते है । बनारस की मिठाईयाँ बनारस का पान बनारसी साडीयाँ विश्व भर में अपनी अलग पहचान रखती है। बनारस की भाषा अपने फक्कडपन और मिठास के लिए मशहूर है।
बनारस प्राचीन काल से ही ज्ञान का केन्द्र रहा है अनेक ने विद्वानो मनव कल्याण और देश के लिए अपना मुल्यवान योगदन दिया है इनमें बुद्ध, कबीर, तुलसी, भारतेंदु हरीशचन्द्र, प्रेमचन्द्र, बाबू विष्णुराव पराडकर ,शिव प्रसाद गुप्त, न जाने कितने ऐसे महापुरूषो का इस धरती से सम्बन्ध है। धन्य है वो लोग जिनका इस महान भूमी से सम्बन्ध है।
काफी अच्छा लेख है बनारस की याद ताजा हो गयी..........
ReplyDeletebehatarin shabdchitra prastut kiya hai aapne
ReplyDeletejai baba vishwanath