माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय ,भोपाल के जनसंचार विभाग के छात्रों द्वारा संचालित ब्लॉग ..ब्लाग पर व्यक्त विचार लेखकों के हैं। ब्लाग संचालकों की सहमति जरूरी नहीं। हम विचार स्वातंत्र्य का सम्मान करते हैं।
Thursday, July 23, 2009
सच का सामना या पतन की पराकाष्टा
- अन्शुतोष शर्मा
भारत में टीवी का चलन काफी पुराना है। पहले केवल एक ही चैनल हुआ करता था दूरदर्शन, किंतु आज ना जाने कितने चैनल बाज़ार में आ गए हैं और अपनी साख के लिए दिन रात वो खबरें दे रहे हैं,जो समाज को भ्रमित कर रही है इन दिनों टीवी चैनलों में टीआरपी बढ़ाने के लिए जिस तरह से आपाधापी हो रही है, वह पहले कभी नहीं थी। इसके चलते ये टीवी चैनल इस तरह के फूहड़ और अश्लील कार्यक्रम परोस रहे हैं जिनका न कोई सिर होता है न पैर। बस अगर होता है तो दर्शकों को उत्तेजित या खौफजदा करना ताकि वे आधा घंटा, एक घंटा या चौबीस घंटा उनकी उस बेहूदगी को झेलते और अपना सिर धुनते रहें। कोई भूत-प्रेत का सहारा ले रहा है, तो कोई साक्षात् शंकर जी को ही परदे पर ले आता है जो कहते हैं किसी भक्त के सपने में आये होते हैं। वह भक्त उनका वीडियो भी बना लेता है। यानी चैनल की इस कपोल कल्पना पर यकीन करें तो कलियुग में कितने सुलभ और सस्ते हो गये हैं भगवान। हर चैनल कोई भी खबर देते समय यह दावा करता है कि ये उसकी ख़बर है,ऐसे में दूसरा पीछे नहीं रहता। यकीन मानिए चैनल घुमा कर देखिए वह खबर दूसरे कई चैनलों में भी दिखेगी और वह भी यही कह रहे होंगे कि खबर हमने ब्रेक की, आप हमारे ही चैनल पर इसे पहली बार खास तौर पर देख रहे हैं। अब आप किस पर यकीन करेंगे कि किस चैनल का दावा सही है। आजकल टीआरपी बढ़ाने के नाम पर न जाने कैसे कैसे शो दिखायें जा रहे कभी किसी को साँप के बीच लेटाया जा रहा है तो कही पर विवाह जैसे पवित्र रिश्तों का मज़ाक बना रखा है।
हाल ही में स्टार प्लस पर श्रीमान बसु ने सच का सामना नया शो चालू किया है जिस का फॉर्मेट कुछ इस तरह का है कि इस में अगर कोई महिला या पुरुष सच-सच साफ-साफ खुलेआम बयान कर सके तो एक करोड़ रुपये उसके हो जायेंगे। यह कार्यक्रम कुछ ऐसा है कि प्रतियोगी से सारे प्रश्न पहले अलग से पूछ लिये जाते हैं। ऐसा करते वक्त पोलीग्राफी टेस्ट के जरिये उसका झूठ पकड़ा जाता है। कई बार उसके दिमाग में कुछ और चल रहा होता है और वह उसे खुलेआम कहने का साहस नहीं करता और झूठ बोल जाता है, लेकिन उसे पता नहीं होता कि पोलीग्राफी मशीन उसका झूठ पकड़ चुकी है। कई लोगो ने इस शो को पसंद किया है पर इस शो का क्या मतलब है,क्या ये शो कोई नया विचार लाया है या सिर्फ़ किसी के जीवन का हर वो हिस्सा जो वो नही बताना चाहता पर बता रहा हैराज्यसभा में को इस शो को बंद करने कि मांग भी उठाई गई है।
इस शो के कारण कई प्रसिद्ध लोंगो के घर में तो बवाल ही मच गया है। किसी की निजता उसके अपने नितांत निजी व्यक्तित्व के साथ शाब्दिक बलात्कार और उसके जीवन में विष घोलने की चेष्टा है। इस शो में कई ऐसे लोंगो को शामिल किया है जो अपनी अलग पहचान बनाये हुए हैं और इस शो में आने के बाद ना तो खुद से नज़र मिला पा रहे और न ही समाज में आ पा रहे हैं। होट सीट पर एंकर ने तो इस शो में शामिल होने से मना ही कर किया है।
इस शो में आई हुई एक महिला से पूछा गया सवाल किसी भी भारतीय नारी के लिए बहुत ही मुश्किल सवाल हो सकता है और उसका जवाब देने में उसे पसीने आ सकते हैं। मैं भारतीय नारी इसलिए कह रहा हूं क्योंकि यहां परिवार अब भी जिंदा हैं। पति-पत्नी के बीच का सामंजस्य भले ही क्षीज रहा हो पर मरा नहीं है। उसे प्रोत्साहित करने की कोशिश हो तो बेहतर, खत्म करने या मारने की चेष्ठा उचित नहीं। फिर से सच का सामना के मंच पर आते हैं। एंकर भद्र महिला से जिसका पति, मां और दूसरे संबंधी उसकी आंखं के सामने बैठे हैं पूछता है-`क्या आपने कभी अपने पति को कत्ल करने की बात सोची है।'इस प्रश्न से उस महिला के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगती है। उसका कलेजा मुंह को आने को होता है। वह एक बार पति की ओर देखती है, खुद को संभालती है और कहती है-हां। एंकर मशीन से पूछता है, मशीन का जवाब होता है -हां। कैमरे पति पर पैन होता है जिसकी आंखों में गुस्से के अंगारे होते हैं जैसे सोच रहा हो -घर चल बताता हूं कौन किसका कत्ल करता है। और कई सवाल तो ऐसे थे जो ना लिखू तो सही ही है।
ऐसा ही सवाल एक टीवी अदाकारा से पूछा गया जो उनकी निजी जीवन का वो अनछुआ हिस्सा है जो वो भूल गई थी इस तरह से न केवल उनका निजी हरण हो रहा है अपितु समाज में भी निंदा हो रही है और साथ ही साथ रिश्तों में भी दरार आ रही है मेरा सवाल है यह कैसा सच है जिसका सामना टीवी चैनल कराना चाहता है। महिला के सामने तो करोड़ रुपये के नोटों की हरियाली है जिसने उसके सारे संबंधों को गौण कर दिया है। पैसा जीतना है चाहे इसके लिए कुछ भी कहना पड़े। इसके बाद का सवाल तो टुच्चई और बेहूदगी की पराकाष्ठा था। एंकर पूछता है-`क्या कभी आपने अपने पति के अलावा और किसी मर्द के साथ सोने की इच्छा की है?' सच कहूं इस सवाल का जवाब मैं देखने की हिम्मत नहीं जुटा और इस सवाल का जो जवाब था वो ग़लत था यानि उस महिला किसी और के साथ सोना कि इच्छा है ये जवाब अपने पति के सामने देना मतलब तो समझे कुछ लोग कह सकते हैं कि इसमें बुरा क्या है, समाज खुल रहा, सब कुछ खुलना चाहिए।उनकी अवधारणा उन्हें मुबारक, वे अपनी तरह जीने को आजाद हैं लेकिन यह भारत उन तक ही सीमित नहीं है। कोई कार्यक्रम तैयार करते वक्त व्यापक जनसमूह का ध्यान रखना चाहिए।
माना कि हमारी नयी पीढ़ी पश्चिमी रंग-ढंग में रंग गयी है उसके लिए आज सेक्स टैबू नहीं है लेकिन भारत का समाज इतना भी नहीं खुला कि वह पश्चिमी देशों की तरह उन्मुक्त और उन्मत्त हो जाये। इसलिए चैनल के भाइयों और बहनों मैं तो यही कहंगा कि खुला खेल फरुर्खावादी मत दिखाइए-रहने दे अभी थोड़ा सा भरम। सच का सामना ही दिखाना है तो यह दिखाइए किसी ने किसी विकट परिस्थिति का मुकाबला कैसे किया या किसी ने किसी की जान कैसे बचायी। सच बोल कर किसी ने किसी मामले में बेगुनाह को कैसे बचाया। वह सच समाज के लिए कल्याणकारी होगा और वैसा पुनीत कार्य करने को औरों को प्रोत्साहित करेगा। जो फूहड़ कार्यक्रम आप दिखा रहे हैं वे तो किसी की निजता में सेंध लगायेंगे। संभव है वह करोड़पति बन जाये पर अपनी पारिवारिक जिंदगी तबाह कर बैठेगा। आपकी घर-घर के ड्राइंगरूम में पैठ है, आप हर भारतीय परिवार का हिस्सा बन गये हैं ऐसे में आपकी जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। वही दिखाइए जो सबजन हिताय, सर्वजन सुखाय हो। माना कि आपकी व्यावसायिका मजबूरी है लेकिन इसके चलते आप किसी समाज को दूषित करने के दोषी तो मत बनिए। और आप लोग भी ऐसे शो का जो आप कि निजी जीवन में तनाव लाये उसके विरूद आवाज़ बुलंद करे अब बारी है आपकी|
(अन्शुतोश ,जनसंचार विभाग के प्रथम सेमेस्टर के छात्र है)
anshutosh.sharma63@gmail.com
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well done asutosh this is right and the real truth is that they are just depicting a cosmetic method of reality.....he should think that this is country of mahatma gandhi where truth had been a force for us we can't make fun with it....and one question for basu ji how much is he bagging from this show
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