Saturday, May 8, 2010

घर का भेदी लंका ढाए

-पंकज साव
गत सप्ताह घटित हुई दो बड़ी घटनाओं ने वाकई हमारी आंतरिक और साथ ही साथ बाह्य सुरक्षा-व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। इसमें एक बड़ी घटना है पाकिस्तान में पदस्थापित राजनयिक माधुरी गुप्ता की गिरफ्तारी। माधुरी गुप्ता कितनी दोषी हैं, यह तो अदालत तय करेगी पर इस गिरफ्तारी ने आम भारतीयों की नज़र में जो दुराग्रह पैदा किया है, वह खतरनाक है। देश का हर नागरिक चाहे लाख बुरा हो, सुरक्षा के मामले में एक हो जाता है। अब जब हमारे उच्चायोगों में बैठे विदेश-सेवा के अधिकारियों की ऐसी दागदार छवि बनेगी तो इसका सीधा असर आम आदमी की राष्ट्रीय निष्ठा पर पड़ेगा।
इसका एक बुरा असर भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि और साख पर भी पड़ेगा। हम लाख अपनी देशभक्ति की डींगें हाँक लें। ऐसी एक घटना सारे किए कराए पर पानी फेर देगी। अब हम किस मुँह से दुश्मन देशों पर आरोप लगाएंगे जब अपने ही रखवालों का दामन ही दागदार हो गया। चाहे पाकिस्तान में लोग भूखों मरें पर वह द्वेष में इतना पागल है कि भारत के विरुद्ध साम, दाम, दण्ड, भेद सब उपायों का इस्तेमाल करने से बाज नहीं आने वाला। हमारी विदेश-सेवा तक उसकी पहूँच उसकी भेद की नीति का ही परिणाम है। एक दूसरी बड़ी घटना है उत्तर प्रदेश में नक्सलियों को हथियार सप्लाई करने वाले रैकेट का खुलासा। यहाँ भी हमारे रक्षक ही भक्षक की भूमिका में हैं। इस मामले में पकड़े गए सारे अभियुक्त सीआरपीफ और पुलीस के जवान निकले। हो न हो पिछले दिनों दंतेवाड़ा में मारे गए जवानों पर चलने वाले हथियार उसी सीआरपीएफ के कुछ गद्दार जवानों की सप्लाई की हुई हो।
कुल मिलाकर स्थिति बड़ी ही विकट है। ऐसे अपराध कहीं से क्षम्य नहीं हैं। माधुरी गुप्ता जिस तरह झूठी दलीलें दे रही हैं, उनमें दम नहीं है। कोई व्यक्ति सिर्फ इसलिए खुफिया सूचनाएँ लीक कर दे कि उसका बॉस उसका प्रमोशन नहीं दे रहा है, सही नहीं है। इधर अगर दोंषी जवानों के मामले में भी ढील दी गई तो ऐसे लोगों का मनोबल ही बढेगा। दोनों ही प्रकरणों की गंभीरता को देखते हुए सटीक जाँच कर जल्द से जल्द दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि इस तरह के अपराध आम घटना का रूप न ले सके।

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