माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय ,भोपाल के जनसंचार विभाग के छात्रों द्वारा संचालित ब्लॉग ..ब्लाग पर व्यक्त विचार लेखकों के हैं। ब्लाग संचालकों की सहमति जरूरी नहीं। हम विचार स्वातंत्र्य का सम्मान करते हैं।
Monday, May 10, 2010
माँ
-अन्नी अंकिता
माँ तुम मुझे क्यों भेज रही हो...........
माँ , तुम वो हो, जिसने मुझे जन्म दिया ।
माँ , तुम वो हो, जिसने मुझे चलना सिखाया।
माँ , तुम वो हो, जिसने मुझे बड़ा किया।
तुमने ही कहा था, मैं
तुम्हारे दिल का टुकड़ा हूँ।
फिर ऐसा क्या हो गया माँ.....
तुम मुझे किसी और के पास
क्यों भेज रही हो....
क्या वो दूसरा मुझे तुम्हारे जितना प्यार देगा...
क्या तुम मुझसे दूर रह लोगी...
क्या मुझसे दूर होके तुम खुश रह पाओगी....
नही रह पाओगी न माँ...
तो समाज की इस प्रथा को तोड़ दो माँ..
मुझे अपने साथ रहने दो माँ....
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समाज की इस प्रथा को तोड़ दो माँ..
ReplyDeleteमुझे अपने साथ रहने दो माँ.... ..bahut sundar rachnatmak lekhan.
100 pratishat maulik vichar hai jo bhut krantikari hai fantastik
ReplyDeletekaphi achha hai, ek dum original, good going, carry on the sprite.............
ReplyDeletethanks
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