भारतीय लोकतंत्र बस्तर में एक कठिन लड़ाई लड़ रहा है जिसमें आमने-सामने उसके अपने लोग हैं। जाहिर तौर पर ऐसे में जंग कठिन हो जाती है जब मुकाबला अपने ही लोगों से हो किंतु देश के सम्मान और लोकतंत्र को खत्म करने में लगी ताकतों को समाप्त करना हमारी जरूरत है। छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने हमले के बाद जिस तरह पूरे इलाके को सेना के हवाले करने की बात कही है, वह राज्य की विवशता का प्रकटीकरण ही है। खून की होली खेल रहे नक्सलियों के खिलाफ इसीलिए किसी किंतु-परंतु के बजाए उनके समूल नाश का संकल्प ही हमारे लोकतंत्र को बचा सकता है। सही मायने में नक्सलियों ने अपनी लड़ाई को जिस तरह का स्वरूप दे दिया है उसमें राज्य के पास भी विकल्प बहुत सीमित हैं। किंतु आश्चर्य की ऐसी खूनी जंग में लगे लोगों को भी कुछ बुद्धिजीवी समर्थन देते नजर आते हैं। नक्सल आंदोलन से सहानुभूति रखने वाले तत्वों, उन्हें आर्थिक और हथियारों की मदद पहुंचा रहे लोगों पर ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि नक्सलियों का समर्थन आधार तोड़े बिना हमारे जंगल इसी आग में सुलगते रहेंगें।
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय ,भोपाल के जनसंचार विभाग के छात्रों द्वारा संचालित ब्लॉग ..ब्लाग पर व्यक्त विचार लेखकों के हैं। ब्लाग संचालकों की सहमति जरूरी नहीं। हम विचार स्वातंत्र्य का सम्मान करते हैं।
Monday, May 10, 2010
नक्सलवाद के खिलाफ अब किंतु-परंतु का समय नहीं
भारतीय लोकतंत्र बस्तर में एक कठिन लड़ाई लड़ रहा है जिसमें आमने-सामने उसके अपने लोग हैं। जाहिर तौर पर ऐसे में जंग कठिन हो जाती है जब मुकाबला अपने ही लोगों से हो किंतु देश के सम्मान और लोकतंत्र को खत्म करने में लगी ताकतों को समाप्त करना हमारी जरूरत है। छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने हमले के बाद जिस तरह पूरे इलाके को सेना के हवाले करने की बात कही है, वह राज्य की विवशता का प्रकटीकरण ही है। खून की होली खेल रहे नक्सलियों के खिलाफ इसीलिए किसी किंतु-परंतु के बजाए उनके समूल नाश का संकल्प ही हमारे लोकतंत्र को बचा सकता है। सही मायने में नक्सलियों ने अपनी लड़ाई को जिस तरह का स्वरूप दे दिया है उसमें राज्य के पास भी विकल्प बहुत सीमित हैं। किंतु आश्चर्य की ऐसी खूनी जंग में लगे लोगों को भी कुछ बुद्धिजीवी समर्थन देते नजर आते हैं। नक्सल आंदोलन से सहानुभूति रखने वाले तत्वों, उन्हें आर्थिक और हथियारों की मदद पहुंचा रहे लोगों पर ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि नक्सलियों का समर्थन आधार तोड़े बिना हमारे जंगल इसी आग में सुलगते रहेंगें।
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