
दिल्ली। अज्ञेय को उनकी आवाज़ में सुनना एक आह्लादकारी अनुभव था। सात मार्च, रविवार की शाम इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के एनेक्सी सभागार में उनकी कविताओं को सुनने के लिए लगभग सौ बुद्धिजीवी, लेखक, कलाकार, संगीतकार, नाट्यकर्मी और पत्रकार जुटे थे। अज्ञेय के श्वेत-श्याम चित्रों एक एक करके पर्दे पर आ रहे थे और पार्श्व से उनकी विनम्र आवाज़ हॉल के अंधेरे में फैल रही थी। उनकी आवाज़ की रेकार्डिंग उपलब्ध हुईं रमेश मेहता और अज्ञेय के निकट रहे ओम थानवी के सौजन्य से। कविताओं का चुनाव और संयोजन ओम थानवी ने किया; चित्र उनके निजी संग्रह से थे। अज्ञेय की जन्मशती का यह पहला आयोजन था। इस तरह का आयोजन साल भर तक चलेगा।
इस अवसर पर दर्शकों को बांटे गये एक फोल्डर में अशोक वाजपेयी ने लिखा है, ‘आप जानते ही हैं कि 2011 में हमारे तीन मूर्धन्यों शमशेर बहादुर सिंह, अज्ञेय और नागार्जुन की जन्म शताब्दियां क्रमश: 13 जनवरी, 7 मार्च और ज्येष्ठ पूर्णिमा को होने जा रही है। यह अवसर होगा, जब हम इन कृतिकारों के अवदान और उनके विभिन्न पक्षों का पुनराकलन करें और हिंदी लेखक समाज की ओर से उन्हें प्रणति दें।’
(मोहल्ला लाइव डाट काम की टिप्पणी)
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