Saturday, March 13, 2010

हिमालय की वादी में यात्रा, पेंग्विन और दून लाइब्रेरी का शब्‍द मेला


उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड, गेल (इंडिया) लिमिटेड और पेंगुइन बुक्स इंडिया के सहयोग से यात्रा बुक्स और दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर, ‘दून रीडिंग्सः हिमालय की गूंज’ कार्यक्रम के दूसरे आयोजन में 2, 3 और 4 अप्रैल को देहरादून में करने जा रहा है। पहली बार मई 2008 में इस तरह का आयोजना शुरू हुआ था और उसकी मास अपील शानदार रही थी। इस वर्ष साहित्योत्सव मुख्य रूप से उत्तराखंड पर केंद्रित है। राज्य भर के कवियों के काव्य पाठ और गायकों के गायन के साथ साहित्योत्सव शुरू होगा। लीलाधर जगूड़ी, मंगलेश डबराल, गिरदा, शेखर पाठक, नरेंद्र नेगी, बटरोही, डॉ अतुल शर्मा, जगदीश जोशी सरीखे कुछ जाने-माने उत्तरांचली लेखकों, कवियों और गायकों समेत गीतकार, पटकथा लेखक और एड गुरु प्रसून जोशी देहरादून के इस तीन दिवसीय साहित्योत्सव में शिरकत करेंगे। इनके अलावा कई और अग्रणी लेखक चर्चा-परिचर्चा, अंश पाठ और सांस्कृतिक संध्या के आयोजन के दौर में शामिल होंगे।

मशहूर इतिहासकार, लेखक और शिक्षाविद डॉ शेखर पाठक उत्तराखंड गाथा : द स्टोरी ऑफ उत्तराखंड शीर्षक से एक मॉन्टाश/कोलाज प्रस्तुत करेंगे। इस संवादपरक प्रस्तुति में अंचल की साहित्यिक परंपराओं पर खासतौर पर विचार-विमर्श के साथ उत्तराखंड की भूराजनैतिक स्थिति, पर्यावरण और सामाजिक-आखथक इतिहास पर भी बातचीत होगी। हिंदी के सुप्रसिद्ध दलित लेखक, जो अपनी आत्मकथा जूठन (1997) के लिए विख्यात हैं, ओम प्रकाश वाल्‍मीकि की दलित लेखन पर केंद्रित सत्र ‘द विंड्स ऑफ चेंज’ में नमिता गोखले के संग परिचर्चा होगी। भारतीय साहित्यकारों और बाल साहित्य लेखकों में सुविख्यात और चोटी के उपन्यासकार रस्किन बॉन्ड अपने प्रकृति संबंधी लेखन के बारे में बताएंगे। पेंगुइन बुक्स इंडिया के रवि सिंह के संग उनकी परिचर्चा होगी।

इस मौके पर यात्रा बुक्स दो नये काव्य-संग्रहों, विश्वजीत की कुछ शब्द कुछ लकीरें और विकी आर्य की बंजारे ख़्वाब का लोकार्पण कर रहा है। विश्वजीत पृथ्वीजीत सिंह राज्य सभा के माननीय पूर्व सांसद हैं और विकी आर्य दिल्ली के विज्ञापन जगत की एक युवा प्रोफेशनल हैं। दोनों ने ही अपने जीवन के शुरुआती वर्ष देहरादून में बिताये हैं और उनके दिलों में इस शहर की एक ख़ास जगह है। पत्रकार, टीवी शख़्सियत और लेखिका मृणाल पांडे अपनी पुस्तक देवी, टेल्स ऑफ द गॉडेस इन अवर टाइम के बारे में बात करेंगी।

मनोहर श्याम जोशी के उपन्यास टटा प्रोफेसर के अंग्रेज़ी अनुवाद के लिए जानी-मानी लेखिका, संपादिका और अनुवादिका इरा पांडे को 2009 में क्रॉसवर्ड ट्रांसलेशन प्राइज़ से नवाज़ा गया। वे महोत्‍सव में टटा प्रोफेसर के कुछ अनूदित अंश का पाठ करेंगी।

पेंगुइन बुक्स इंडिया और यात्रा बुक्स देहरादून में अपनी संगीत शृंखला की पुस्तकों का भी लोकार्पण करेंगे। इस शृंखला में जाग उठे ख़्वाब कई : साहिर लुधियानवी, सुर की बारादरी बिस्मिल्ला खां : यतींद्र मिश्र, यादें जी उठीं : मन्ना डे, ज़र्रा जो आफताब बना : नौशाद, गुलाब बाई : दीप्ति प्रिया महरोत्रा; कुंदन लाल सहगल का जीवन और संगीत : शरद दत्त की किताबें शामिल हैं। इस सत्र में यतींद्र मिश्र और मुरली मनोहर प्रसाद सिंह संगीत पर लेखन के विषय में मंगलेश डबराल के साथ बातचीत करेंगे।

इस साहित्योत्सव में ‘पेंगुइन श्रेष्ठ कहानियां’ शृंखला के संदर्भ में ‘आज की हिंदी कहानी’ पर भी एक सत्र होगा। इस शृंखला में सुप्रसिद्ध हिंदी लेखकों के कहानी-संग्रह शामिल हैं। इनमें कुछ प्रमुख शीर्षक हैं : अगला यथार्थ, हिमांशु जोशी; थिएटर रोड के कौवे, ममता कालिया; तैंतीबाई, चंद्रकांता; स्वप्न घर, अरुण प्रकाश; आधी सदी का सफरनामा, स्वयं प्रकाश; आरोहण, संजीव; अरेबा परेबा, उदय प्रकाश; दोहरी ज़िंदगी, विजयदान देथा; चेहरे, चित्रा मुद्गल; ख़ाली
लिफाफा, राजी सेठ; घर बेघर, कमल कुमार।

साहित्योत्सव में अगली पीढ़ी के प्रतिनिधि के तौर पर युवा लेखक आदित्य सुदर्शन भी शामिल होंगे। आदित्य अपने पहले उपन्यास ए नाइस क्वाइट हॉलीडे से अंश पाठ करेंगे और उस पर चर्चा करेंगे। यह उत्तराखंड के एक काल्पनिक हिल स्टेशन भैरवगढ़ की पहाड़ियों के बीच हत्या की एक सोची-विचारी साज़िश की कहानी है। माया जोशी संग उनकी परिचर्चा होगी। नमिता गोखले और मालाश्री लाल द्वारा संपादित किताब इन सर्च ऑफ सीताः रीविज़िटिंग माइथोलॉजी भारतीय नारीत्व की पहचान कही जाने वाली सीता पर आधारित निबंधों, विचार-विमर्शों और टीकाओं का पहला संग्रह है। यह किताब सीता के नारीत्व और शक्ति से जुड़े विभिन्न पहलुओं की पड़ताल करती है। अंग्रेज़ी लेखन की दुनिया में जानी-मानी नमिता गोखले इस पुस्तक का परिचय देंगी।

इस साहित्योत्सव में पारंपरिक उत्तरांचली लोक संगीत और संस्कृति पर भी विशेष प्रस्तुतियां होंगी। बसंती बिष्ट गायन की एक प्रचलित लोकशैली ‘जागर’ की प्रस्तुति करेंगी। बसंती उत्तराखंड की इस लोक परंपरा की एक सुप्रसिद्ध कलाकार हैं। उत्सव में भाग लेने आए लेखकों और साहित्यकारों की किताबें भी प्रदर्शित की जाएंगी, श्रोता-दर्शक किताबें ख़रीद भी सकेंगे और अपने पसंदीदा लेखकों से उनके ऑटोग्रॉफ भी ले सकेंगे।

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