Thursday, October 14, 2010

बेहतर शासन के लिए जरूरी है सकारात्मक संचार : प्रो. कुठियाला


एमआईटी स्कूल आफ गर्वमेंट के छात्रों ने किया पत्रकारिता विश्वविद्यालय का भ्रमण

भोपाल 14 अक्टूबर। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला का कहना है कि समाज को अगर सकारात्मक दिशा देनी है तो जरुरी है कि शासन और संचार दोनों की प्रकृति भी सकारात्मक हो। मीडिया और शासन समाज के दिशावाहकों में से एक हैं। इसलिए इनको अपने व्यवहार और कार्यप्रणाली में सकारत्मकता रखना बेहद जरुरी है।
वे यहां विश्वविद्यालय परिसर में शैक्षणिक भ्रमण के अन्तर्गत भोपाल आए पुणे स्थित एमआईटी स्कूल ऑफ गर्वमेंट के विद्यार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे। प्रो. कुठियाला ने छात्रों को मीडिया की मूलभूत जानकारी देते हुए कहा कि दोनों संस्थानों का मूल उद्देश्य समान है, जहाँ एमआईटी का उद्देश्य बेहतर शासन प्रणाली के लिए अच्छे राजनेता पैदा करना है, वहीं पत्रकारिता विश्वविद्यालय का उद्देश्य केवल पत्रकार बनाना नहीं बल्कि विद्यार्थियों को अच्छा संचारक बनाना भी है। ताकि वे समाज के मेलजोल और सदभाव के लिए काम करें। प्रो. कुठियाला ने विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली, उद्देश्य एवं लक्ष्यों के बारे में भी विद्यार्थियों को अवगत कराया। एक प्रश्न के जबाब में उन्होंने कहा व्यवसायीकरण और व्यापारीकरण में अन्तर पहचानना बेहद जरूरी है। किसी भी वस्तु या सेवा के व्यवसायीकरण में बुराई नहीं है, समस्या तब शुरू होती है जब उसका व्यापारीकरण होने लगता है। वर्तमान मीडिया, इसी स्थिति का शिकार है। संवाद पर आधारित इस क्षेत्र का इतना व्यापारीकरण कर दिया गया है कि सूचना अब भ्रमित करने लगी है, उकसाने लगी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में मीडिया की जिम्मेदारी केवल मीडिया के लोगों पर छोड़ना ज्यादती होगी, इसलिए जरूरी है कि समाज के अन्य वर्ग भी मीडिया से जुड़ी अपनी जिम्मेदारी समझे एवं निभाएं। कार्यक्रम के प्रारंभ में एमआईटी, पुणे के छात्रों ने अंगवस्त्रम और प्रतीक चिन्ह देकर प्रो. कुठियाला का स्वागत किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी , जनसंपर्क विभाग के अध्यक्ष डॉ. पवित्र श्रीवास्तव, डा. जया सुरजानी, गरिमा पटेल एवं कई शिक्षक उपस्थित रहे। संचालन एमआईटी संस्थान की शिक्षिका सीमा गुंजाल एवं आभार प्रदर्शन एमआईटी के ओएसडी संकल्प सिंघई ने व्यक्त किया।
(डा. पवित्र श्रीवास्तव)

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