माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय ,भोपाल के जनसंचार विभाग के छात्रों द्वारा संचालित ब्लॉग ..ब्लाग पर व्यक्त विचार लेखकों के हैं। ब्लाग संचालकों की सहमति जरूरी नहीं। हम विचार स्वातंत्र्य का सम्मान करते हैं।
Friday, October 15, 2010
क्या हूँ मैं…….
Annie Ankita
MAMC III SEM
15 अक्टूबर
क्या हूँ मैं ..........
मैं भी नहीं जानती
हूँ मैं मोम की गुड़िया
पल में पिघल जाती हूँ...
कभी लगता है....
चट्टान सी हूँ मैं कठोर....
जिसे कोई हिला नहीं सकता..
आखिर क्या हूँ मैं....
मैं भी नही जानती..
दुनिया से लड़ने की ताकत रखती हूँ मैं
कभी दुनिया की कुछ बातों से ही डर जाती हूँ...
चाँदनी की तरह हूँ मैं शीतल या....
सूरज की किरणों की तरह तेज
आखिर क्या हूँ मैं....
मैं भी नही जानती..
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वाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है
ReplyDeleteदूसरों को समझने की अपेक्षा स्वयं को समझना कहीं अधिक कठिन है...अच्छी कविता।
ReplyDeletewah! mam bahut aachi kavita hai..........
ReplyDeletevery nice
bahut achchha likha hai aapne ..............samay ke sath sath manobhavo me hote parivartan ko achchhe se prastut kiya hai aapne.......badhai
ReplyDeleteMukta Said...........
ReplyDeletevery good mam. the poem is really very nice
really nice poem mam
ReplyDeleteplease hame bhi kuch sikha dijiye......
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ReplyDeleteachhi rachna
ReplyDeletesach mai bahut kathin hai khub ko samjhana
kabhi yaha bhi aaye
www.deepti09sharma.blogspot.com
बहुत बेहतरीन..
ReplyDeleteमान गए, बहुत खूब..............
ReplyDeletegreat going........ carry on, it's really nice one........
ReplyDeleteawesome mam..... u r so talented. this poem has a real deepness i guess keep it up... all the best....
ReplyDeleteI think its the most toughest job for an individual to emotionally put himself/herself down. because putting it down means bringing yourself to scrutiny. Self realisation is the best prescription one can ever have,
ReplyDeleteand you made it dear.
God bless, Jai ho....Annie
- Bikash K Sharma
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