Monday, August 17, 2009

पत्रकारिता एक धंधा हो गयी हैः कुलदीप नैयर


वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर का कहना है कि पत्रकारिता एक धंधा हो गयी है और पत्रकार इस धंधे के दलाल की तरह काम कर रहे हैं. नैयर ने वर्तमान संदर्भों का हवाला देते हुए कहा कि पत्रकारिता एक वैश्यावृत्ति की तरह नजर आ रही है.


तिरुअनन्तपुरम में द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के दिवंगत पत्रकार एन नरेन्द्रन की स्मृति में स्थानीय प्रेस क्लब में आयोजित आठवें मेमोरियल लेक्चर में बोलते हुए कुलदीप नैयर ने कहा कि हाल में ही संपन्न लोकसभा चुनावों के दौरान बहुत सारे अखबारों और टीवी चैनलों ने खुलेआम बड़ी पार्टियों से पैकेज का खेल किया और खबरों के साथ खिलवाड़ किया. उन्होंने इस पत्रकारिता पर दुख जताते हुए कहा कि पैसे लेकर पत्रकार जनता को गुमराह कर रहे हैं. हालांकि उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि प्रेस काउंसिल आफ इंडिया इस पूरे मसले पर कार्रवाई करने के लिए तैयार हो गयी है. हाल में ही प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष जीएन रे ने दिल्ली में कहा था कि वे चुनाव में पैसा लेकर खबर छापनेवाले मामलों की जांच कर रहे हैं और साबित होने पर वे अखबारों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे.
नैयर ने पत्रकारों की वर्तमान दशा के बारे में कहा कि "ऐसा लगता है कि पत्रकार कैदी हो गये हैं जो अपनी नौकरी बचाने के लिए कोई भी काम करने को तैयार हो जाते हैं. ऐसा लगता है कि पत्रकार भी अब व्यवस्था का हिस्सा बन गया है. अब सवाल यह है कि अगर पत्रकार भी दलाली और धंधे पर उतर आयेगा तो दुनिया के इस सबसे बड़े लोकतंत्र की क्या दशा होगी?" उन्होंने कहा कि हिंसा और दमन के खिलाफ पत्रकारों को आवाज उठाना ही चाहिए लेकिन आज आप देखिए पत्रकार भी व्यवस्था का हिस्सा होकर काम कर रहा है.
उन्होने कहा कि सरकार एसईजेड के नाम पर लाखों आदिवासियों और किसानों को उनकी जमीनों से बेदखल कर रही है लेकिन पूरे मीडिया में मानवाधिकार के इस मूलभूत मुद्दे पर भी कोई चर्चा नहीं हो रही है. इस मौके पर एन नरेन्द्रन के नाम पर एक वेबसाईट भी जारी की गयी. कार्यक्रम का आयोजन एन नरेन्द्रन के मित्रों और शुभचिंतकों ने किया था.

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