Monday, August 3, 2009

समान शिक्षा की गारंटी से ही बचेगा देश


प्रख्यात शिक्षाविद प्रो. अनिल सदगोपाल का कहना है कि संसद में पेश बच्चों को अनिवार्य शिक्षा विधेयक-2008 दरअसल शिक्षा के अधिकार को छीननेवाला विधेयक है। सोमवार को माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के जनसंचार विभाग द्वारा शिक्षा का अधिकार और भारत का भविष्य विषय पर आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रो. सदगोपाल ने विधेयक की तमाम खामियों की तरफ इशारा किया। उन्होंने साफ कहा कि एक समान प्राथमिक शिक्षा की गारंटी से ही देश को बचाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि इस गैरसंवैधानिक, बालविरोधी और निजीकरण-बाजारीकरण के सर्मथक विधेयक से एक बार फिर प्राथमिक शिक्षा गर्त में चली जाएगी। उन्होंने साफ कहा कि समान शिक्षा प्रणाली के बिना इस देश के सवाल नहीं किए जा सकते और गैरबराबरी बढ़ती चली जाएगी। उन्होंने कहा कि यह सरकारी स्कूल शिक्षा को ध्वस्त करने और निजी स्कूलों को बढ़ावा देनी की साजिश है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विवि के इलेक्ट्रानिक मीडिया विभाग के अध्यक्ष डा. श्रीकांत सिंह ने कहा कि दोहरी शिक्षा प्रणाली के चलते देश में इंडिया और भारत का विभाजन बहुत साफ दिखने लगा है। इसके चलते समाज में अनेक समस्याएं पैदा हो रही हैं। कार्यक्रम का संचालन विभाग के छात्र अंशुतोष शर्मा ने किया और आभार प्रर्दशन जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी ने किया। इस मौके पर जनसंपर्क विभाग की प्रवक्ता मीता उज्जैन, मोनिका वर्मा, शलभ श्रीवास्तव और विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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