माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय ,भोपाल के जनसंचार विभाग के छात्रों द्वारा संचालित ब्लॉग ..ब्लाग पर व्यक्त विचार लेखकों के हैं। ब्लाग संचालकों की सहमति जरूरी नहीं। हम विचार स्वातंत्र्य का सम्मान करते हैं।
Thursday, September 29, 2011
सार्थक शनिवार(24सितंबर2011)-डा.वैदिक का व्याख्यान
आंदोलनों को गति देता है मीडियाः वैदिक
जनांदोलन और मीडिया विषय पर डा. वैदिक का व्याख्यान
भोपाल,24 सितंबर। वरिष्ठ पत्रकार डा. वेदप्रताप वैदिक का कहना है कि हर जनांदोलन की सफलता में पत्रकारिता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे यहां माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में “जनांदोलन और मीडिया” विषय पर आयोजित व्याख्यान में मुख्यवक्ता की आसंदी से बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि जब-जब आम जनता व मीडिया की आवाज को दबाने का प्रयास किया गया है, मीडिया ने पूरी ताकत से इसका विरोध किया है। मीडिया खासकर अखबारों ने राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दिया है। यह पत्रकारों के दृढ़ निश्चय का ही परिणाम था कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को मानहानि विधेयक वापस लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि तमाम जनांदोलनों को मीडिया तरजीह नहीं देता क्योंकि वे उसके लिए बाजार नहीं बनाते। खासकर आदिवासियों और किसानों के सवालों पर हुए आंदोलनों की मीडिया ने खासी उपेक्षा की है। उन्होंने कहा कि सबके बावजूद मीडिया बाजार की तलाश में तमाम सवालों की उपेक्षा कर जाता है। उनका कहना कि पत्रकारों को जनांदोलन के विषयों का ठीक से विश्लेषण करना चाहिए।
डा. वैदिक ने कहा कि मीडिया के सहयोग ने ही बाबा रामदेव और अन्ना हजारे के आंदोलन को ताकत दी है। दोनों के आंदोलन ने देश को एक दिशा दी है इससे हमें पता चलता है कि मीडिया कितना महत्वपूर्ण रोल अदा कर सकता है। उनका कहना था कि लोगों के बीच भ्रष्टाचार और काले धन के सवाल पर काफी गुस्सा है, राजनीति निरंतर निराश कर रही है। ऐसे में जनांदोलनों में लोगों का जुटना स्वाभाविक है। उनका यह भी कहना था कि अन्ना हजारे के आंदोलन की सफलता के पीछे बाबा रामदेव के आंदोलन ने ही आधार तैयार किया था। क्योंकि जिस तरह सरकार ने बाबा के आंदोलन का दमन किया उससे लोग गुस्से से भरे बैठे थे, अन्ना ने जब दिल्ली में हुंकार लगाई तो लोग सड़कों पर उतर आए। डा. वैदिक ने कहा कि मीडिया की भूमिका इस आंदोलन में बहुत खास रही है। इसके बावजूद कोई भी आंदोलन सिर्फ मीडिया के चलते महत्वपूर्ण नहीं हो सकता। मीडिया की अपनी सीमाएं हैं तथा उसकी अपनी बाजारकेंद्रित रूचियां हैं। साथ ही कई मामलों में वह चयनित दृष्टिकोण अपनाता है। जनांदोलन के नेताओं का उंचा चरित्र ही किसी आंदोलन की सफलता की गारंटी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने की एवं संचालन जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी ने किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रो. आशीष जोशी, डा. पी. शशिकला, दीपक शर्मा, डा. आरती सारंग, राघवेंद्र सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया।
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