Thursday, June 25, 2009

पानी के लिए ...


संजय सर का कहना है कि पानी के सवाल पर अब मीडिया को भी अपनी सक्रियता दिखानी होगी।

उन्होंने भोपाल स्थित माधवराव सप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय में जल, जीवन और मीडिया विषय पर आयोजित संगोष्ठी में ये विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मीडिया का जैसा विस्तार हुआ है उसे देखते हुए वह वह अपनी प्रभावी भूमिका से सरकार, प्रशासन, आमजनता तीनों का ध्यान खींच सकता है। कई पत्र समूह अब पानी के सवाल पर लोगों को जगाने का काम कर रहे हैं इसे मीडिया का सकारात्मक कदम माना जाना चाहिए।
संजय द्विवेदी ने कहा कि उत्तर भारत की गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों को भी समाज और उद्योग की बेरुखी ने काफी हद तक नुकसान पहुंचाया है। दिल्ली में यमुना जैसी नदी किस तरह एक गंदे नाले में बदल गयी तो लखनऊ की गोमती का क्या हाल है किसी से छिपा नहीं है।देश की नदियों का जल और उसकी चिंता हमें ही करनी होगी। मीडिया ने इस बड़ी चुनौती को समय रहते समझा है, यह बड़ी बात है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस सवाल को मीडिया के नियंता अपनी प्राथमिक चिंताओं में शामिल करेंगें।
इस महत्वपूर्ण आयोजन में मैगसेसे पुरस्कार विजेता राजेंद्र सिंह, नर्मदा के अनथक यात्री अमृतलाल वेगड़, जनसंपर्क प्रमुख और लेखक मनोज श्रीवास्तव, नवदुनिया भोपाल के संपादक गिरीश उपाध्याय, विजयदत्त श्रीधर सहित अनेक पत्रकारों ने संबोधित किया।

3 comments:

  1. विश्वरंजन ठीक कह रहे है हमें चुनना तो होगा। लोकतंत्र हमारी सबसे बड़ी ताकत है हमें इसे बचाना ही होगा। आतंकवाद से किसी भी समस्या का हल कहां संभव है।
    -भूमकाल, रायपुर

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  2. अजी लोग तो आज कह रहे हैं...रहीम तो सालों पहले कह गए..रहीमन पानी राखिए बिन पानी सब सून...। पानी नहीं हुआ तो सभी का सफाया तय है...पानी बचाओं।

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  3. sanjay sir ko sadar pranaam,
    aapki chetna dusre vivek-heen logon tak pahunche, aisi kamna karta hun, zamin ke pahle jal-jangal ke baare men logon ko sochna jaruri hai...
    yashwant gohil

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