Monday, February 7, 2011

संजय द्विवेदी सर का जन्मदिन-4

1 comment:

  1. आखि़री नहीं है यह जन्म-दिन
    और लड़ाई के लिए है पूरा मैदान


    आज के दिन मैं लौटाना चाहता हूँ
    एक उदास बच्चे की हँसी


    आज के दिन मैं
    घूमना चाहता हूँ पूरी पृथ्वी पर
    एक निश्शंक मनुष्य की तरह


    नियाग्रा फाल्स के कनाडाई छोर से
    मैं आवाज़ देना चाहता हूँ अमरीका को कि
    सृष्टि के इस अप्रतिम सौन्दर्य को निहारो
    हथियारों की राजनीति से बेहतर है
    यहाँ की लहरों में भीगना


    आज के दिन मैं धरती को
    बाँहों में भर लेना चाहता हूँ प्रेमिका की तरह

    जन्मदिन की ढ़ेरों शुभकामनाएं सर

    सादर
    अंकुर विजय

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