
2 फरवरी 2011,
मुक्ता भावसार
BAMC II SEM
सब देते हैं निराशा
आशा खुद को जगानी होगी
अंधेरा देगा हर कोई
ज्योर्तिमय दीपशिखा तुम को जलानी होगी
कोई न करेगा उत्साहवर्धन
कर देंगे सब इच्छाओं का दमन
उल्लास तुम्ही को लाना होगा
नया प्रकाश फैलाना होगा।
जीत की चाह रखते हो अगर मन में
तन्हा ही उस पार जाना होगा
निराशा को तुम न स्वीकार करना
आशाओं का नित नवीन संचार करना
चलते चलते राह में ठोकर खानी होगी
सब देते हैं निराशा
आशा खुद को जगानी होगी
हारने का डर ना रखना
जीत पर कदम होंगे तुम्हारे
जिन्होंने दी हरदम निराशा
कभी साथ होंगे तुम्हारे
होसलों मे नयी उड़ान लानी होगी
सब देते हैं निराशा
आशा खुद को जगानी होगी।
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