माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय ,भोपाल के जनसंचार विभाग के छात्रों द्वारा संचालित ब्लॉग ..ब्लाग पर व्यक्त विचार लेखकों के हैं। ब्लाग संचालकों की सहमति जरूरी नहीं। हम विचार स्वातंत्र्य का सम्मान करते हैं।
आखि़री नहीं है यह जन्म-दिन और लड़ाई के लिए है पूरा मैदान
आज के दिन मैं लौटाना चाहता हूँ एक उदास बच्चे की हँसी
आज के दिन मैं घूमना चाहता हूँ पूरी पृथ्वी पर एक निश्शंक मनुष्य की तरह
नियाग्रा फाल्स के कनाडाई छोर से मैं आवाज़ देना चाहता हूँ अमरीका को कि सृष्टि के इस अप्रतिम सौन्दर्य को निहारो हथियारों की राजनीति से बेहतर है यहाँ की लहरों में भीगना
आज के दिन मैं धरती को बाँहों में भर लेना चाहता हूँ प्रेमिका की तरह
आखि़री नहीं है यह जन्म-दिन
ReplyDeleteऔर लड़ाई के लिए है पूरा मैदान
आज के दिन मैं लौटाना चाहता हूँ
एक उदास बच्चे की हँसी
आज के दिन मैं
घूमना चाहता हूँ पूरी पृथ्वी पर
एक निश्शंक मनुष्य की तरह
नियाग्रा फाल्स के कनाडाई छोर से
मैं आवाज़ देना चाहता हूँ अमरीका को कि
सृष्टि के इस अप्रतिम सौन्दर्य को निहारो
हथियारों की राजनीति से बेहतर है
यहाँ की लहरों में भीगना
आज के दिन मैं धरती को
बाँहों में भर लेना चाहता हूँ प्रेमिका की तरह
जन्मदिन की ढ़ेरों शुभकामनाएं सर
सादर
अंकुर विजय