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Friday, April 15, 2011
अकल्पनीय त्रासदी
नुपुर सक्सेना
भोपाल, 15 april 2011,
MAMC IV SEM
12 मार्च की अकल्पनीय त्रासदी
ले डूबी परिष्कृत जापान को
साथ ले गई हजारों को
हजारों सवाल छोड़ चली,
पेट अभी भरा नहीं
ग्रसित अभी हजारों हैं,
मिशन अभी अधूरा है
इरादे कुछ नेक नहीं,
परमाणु ऊर्जा पर उठी उंगलियां
पड़ी महंगी देशवासियों पर,
जो विध्वंस हुआ इसका
जहरीला हुआ महासागर का पानी भी.
एहसास हुआ न राष्ट्र बल्कि
हो जाएगी आत्महत्या समूचे विश्व की
अब वक्त हो चला आएं परमाणु युग को खत्म करने की
12 मार्च की अकल्पनीय त्रासदी ले डूबी परिष्कृत जापान को
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सार्थक चिंतन
ReplyDeletebahut khub jaari rahe
ReplyDeletejai ho
अच्छा लिखी हो, अच्छा प्रयास। जारी रखो।
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