Sunday, November 28, 2010

आज भी जब मुम्बई को याद करता हूँ



ओम प्रकाश
BAMC I SEM
भोपाल, 28 नवम्बर 2010





कभी ओबेराय तो कभी,
नरीमन में हुए धमाके को याद करता हूँ।
कभी गोलिओं की बोछार तो कभी,
ताज में दहकती आग को याद करता हूँ।
आज भी जब मै उस मुंबई के दर्दनाक हमले को याद करता हूँ,
कभी खून की नदियाँ तो कभी,
आसुओं के सागर को याद करता हूँ।
कभी लोगो के ड़र तो कभी,
उनकी चीख को याद करता हूँ।
आज भी जब मै आतंकवाद से लडती मुंबई को याद करता हूँ,

कभी बेगुनाहों के ड़र तो कभी,
उनके दर्द को महसूस करता हूँ।
कभी भारतवासी के उमड़ते गुस्से को तो कभी,
लाचारी को महसूस करता हूँ।
आतंकवाद की इस गहरी चोट से अपने देश को कभी,
अपाहिज तो कभी मजबूर सा महसूस करता हूँ।

अपनी जान की बाजी लगाकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ने वाले,
भारतीय को सलाम करता हूँ,
हिंसा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने वाले भारतीयों में आज भी छिपी एकता
को सलाम करता हूँ,

उनकी देश भक्ति को सलाम करता हूँ।

6 comments:

  1. kabhi A.T.S ke amar shaheed karkare to kabhi encounter visheshyagya salaskar ko yaad karta hoon,aaj bhi jab main OM ki likhi is kavita ko padhta hoon to shabdo ke is nanhe jadugar ko naman me karta hoon....bahut khoob

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  2. मत कहो पडोसी मुल्को से आतंकी आंधी बंद करो
    तुम अपने मिमियाते स्वर को शेरों की तरह बुलंद करो
    ये हमले पल में रूक सकते हैं, आगे बढके हुंकार भरो
    इन आतंकी अड्डो पर अब बम्बों की बौछार करो ।।।


    शहीदों को नमन के साथ
    अंकुर विजय
    हिन्दुस्तान टाईम्स
    दिल्ली

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  3. शहीदों को नमन !!!!!!Verry nice !!!

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