
रुपेन्द्र सिंह चौहान
BAMC I SEM
भोपाल,2 नवंबर,2010
सरकारों के लिए नई-नई योजनाएँ लाना कोई नई बात नहीं है पर पिछले दिनों मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर लोकसेवा प्रदाय गारंटी अधिनियम लागू किया गया। यह मुख्यमंत्री की सराहनीय पहल है, क्योंकि यह बेहद महत्वपूर्ण और अपने प्रकार का एकमात्र अधिनियम है। जो भारत के किसी अन्य राज्य में अभी तक लागू नही है। यह अधिनियम आम जनता को सुनिश्चित करता है कि कोई भी सेवा जो सरकारी विभागों से सम्बन्धित हो निर्धारित किये गए समय में मिल पाए। हालांकि इसे अभी सिर्फ 9 विभागों की 26 सेवाओं के लिये किया गया है परन्तु उसे बाद में पूर्णरूप से सभी विभागों में सभी सेवाओं के लिए लागू किया जाएगा जिसके दायरें में हर मंत्री-अधिकारी आयेंगे। इससे कुछ हद तक तो जरूर भ्रष्टाचार, आम लोगों की तकलीफें और अधिकारियों की मनमानी है कम होगी। नागरिकों को बेवजह सरकरी दफ्तरों के चक्कर नही लगाना होगा, फिर शायद कोई किसान कलेक्टरेट पर आत्महत्या की कोशिश न करें, फिर शायद नागरकों के रिश्वत के पैसे बच जाएँ, फिर शायद वृद्ध जनों को पेंशन के लिए सालों तक चक्कर न काटनें पडे, फिर शायद बीपीएल कार्ड भी गारिबों को मिल जाएँ। पर अब अधिनियम के आने से न भी मिल पाएँ तो भी ज्यादा दिक्कत नहीं होगी क्योंकि इसी अधिनियम में एक विशेष प्रवधान के तहत अगर अधिकारी निश्चित समय पर सेवा नहीं दे पाता है, तो उसके प्रतिदिन के हिसाब से 250 रूपए काटे जाएँगे जो अधिकतम 5000 रूपए तक होंगे और यह राशि उस आवेदक को मिलेगी जिसका समय बर्बाद हुआ है । पर फिर भी एक डर है कि कहीं यह भी बाकी ढेरो कानूनों की तरह ही न निकले, जिनमें चार दिन की चाँदनी और फिर अँधेरी रात हो। पर यह केवल मेरा अनुमान मात्र है, मैं किसी नतीजे पर नहीं जाना चाहता पर हाँ इतना कहूँगा कि मध्यप्रदेश सरकार ने इस अधिनियम को लाकर बहुत साहसिक कदम उठाया है क्योंकि इसके दायरे में मंत्रियों के आने से भ्रष्ट तंत्र में सुधार आने की उम्मीद है। पर शुरू में तो तलवार अधिकारियों के सर ही लटकनी है और ये जरूरी भी थी क्योंकि वे कैसा भी काम करें उन्हें कोई हटा नहीं सकता और उनकी पदोन्नति भी नहीं रोकी जा सकती है। इतनी छूट तो सिर्फ हमारे देश में ही मिलती है । वहीं दूसरी ओर फ्राँस में पदोन्नति के लिए भी विशेष परिक्षा से गुजरना होता है । और चीन में भी जब पिछले साल एक सर्वे रिपोर्ट छपी जिसमें 90 प्रतिशत अधिकारियों को भ्रष्ट बताया गया के वहाँ की सरकार ने तुरंत एक अलग विभाग का गठन कर दिया । विभाग ने यह नियम बना दिया कि लगातार दो वार्षिक समिक्षाओं में अयोग्य साबित होने वाले अधिकारी को पद से हटा दिया जाएगा । पर हमें कम-से-कम लोकसेवा प्रदाय गारंटी अधिनियम से अफसरों की मनमानी कम होने का तो पूरा विश्वास है।
लेकिन अब केन्द्र सरकार को भी जाग जाना चाहिए और मध्यप्रदेश से सबक लेकर इस कानून को पूरे देश में लागू करवाना चाहिए जिसके दायरे में सभी प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर नेता मंत्री आ जाए । और अगर ऐसा कानून नहीं आता है तो केन्द्र सरकार से निकला एक रूपया जनता के पास दस पैसे के रूप में ही पहुँचेगा, हम हमेशा विकास दर में चीन से पीछे ही रहेंगे , हम पिछले साल भ्रष्ट देशों की सूची में 74वें स्थान पर थे और आगे भी इसी आँकडे के आसपास झूलते रहेंगे, हम आगे भी कामनवैल्थ गेम्स की तैयारी में फिनीशिंग टच गेम्स शुरु होने के आखिरी दिन ही देंगे । पर हमारी सरकार की कोशिशें कई बदलाव ला सकती है। पिछलें दिनों अमेरिका की एक मैग्जीन का सर्वे छपा जिसमें भारत को 2025 तक दुनिया का अमेरिका और चीन के बाद तीसरा सबसे ताकतवर देश माना गया, जिससे हमारा सरकारी तंत्र खुशी से उछल पड़ा। पर हम अगर आज की अव्यवस्थाओं के बीच भी 2025 तक दुनिया की तीसरी सबसे बडी ताकत बनने का दम रखते है तो थोड़े बदलाव से सबसे बड़ी ताकत भी बन सकते है। आज जररूत सिर्फ एक पहल की है । ताकि हम बदलाव ला सके अपने आप में, फिर चीन क्या हम 2025 तक अमेरिका को भी पिछे छोड सकते है।