Wednesday, October 23, 2013

मालदीव में चुनाव... भारत पर वैश्विक दबाव

मालदीव में राष्ट्रपति पद के लिए मतदान शुरू होने से ठीक पहले अचानक चुनाव प्रक्रिया रोकने से माली में लोकशाही के भविष्य पर संकट गहरा गया, लेकिन इस निर्णय से हतप्रभ विश्व समुदाय का भारत पर वहां जल्द लोकतंत्र स्थापित कराने में अहम भूमिका निभाने का दबाव बढ़ गया है। 
       
मालदीव दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) का सदस्य देश है और वहां 19 अकटूबर को चुनाव होना था। मतदान से ठीक एक घंटा पहले चुनाव आयुक्त फवाद तौफीक ने यह कह कर दुनिया को हतप्रभ कर दिया कि दो प्रत्याशियों द्वारा मतदाता सूची को सत्यापित नहीं करने और पुलिस का समर्थन नहीं मिलने के कारण चुनाव स्थगित कर दिया गया है। देश के सभी 200 द्वीपों में चुनाव की तैयारियां पूरी हो चुकी थी और मतदान केंद्रों पर मतदान पेटियां पहुंच चुकी थी, लेकिन मतदान प्रक्रिया शुरू होती, इससे पहले ही चुनाव रोक दिए गए। 
       
मालदीव सरकार का यह फरमान पूरी दुनिया के लोकतंत्र प्रेमियों के लिए चौंकाने वाला था। भारत ने चुनाव रद्द किए जाने की कडी निंदा की है और वहां जल्द चुनाव कराए जाने की मांग की है। इसके लिए भारत ने एक तरह से लॉबिंग भी की है। विदेश सचिव सुजाता सिंह जिस उल्लास के साथ चुनाव प्रक्रिया को देखने के लिए माले गई थी, उससे कहीं अधिक मायूस होकर वह स्वदेश लौटी और उन्होंने विश्व के कई देशों के राजनयिकों से मुलाकात कर मालदीव की स्थिति से उन्हें अवगत कराया है। 
       
भारत की सक्रियता से दुनिया की यह उम्मीद बंधी है कि मालदीव जल्द ही लोकतंत्र की राह पर लौट आएगा। सैकड़ों द्वीपों को मिलाकर बना यह देश दक्षेस का भी सदस्य है और इस समूह में भारत ही सबसे बडा राष्ट्र है, इसलिए नई दिल्ली पर दुनिया ने एक तरह से दबाव बनाना शुरू कर दिया है, कि वह मालदीव में लोकतंत्र की स्थापना में अपनी अहम भूमिका निभाए, ताकि वहां जल्द से जल्द चुनाव सुनिश्चित किए जा सकें।  
       
दुनिया की पांच बडी शक्तियों अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस तथा चीन के साथ ही जर्मनी ने भी भारत से कहा है कि वह मालदीव में चुनाव प्रक्रिया समय पर पूरी कराने के लिए काम करे। इन देशों के अलावा दक्षेस सदस्य बंगलादेश तथा श्रीलंका भी भारत पर यही उम्मीद लगाए बैठे हैं। ऑस्ट्रेलिया को भी उम्मीद है कि भारत की पहल पर माले की कुर्सी के लिए जल्द ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। मलेशिया और सऊदी अरब जैसे देशों ने भी इस मामले में भारत की तरफ उम्मीदभरी निगाह से देखना शुरू कर दिया है। चारों तरफ से भारत पर वहां लोकतंत्र की बहाली के लिए चुनाव प्रक्रिया जल्द शुरू कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का दबाव लगातार बढ़ रहा है। 
        
मालदीव में चुनाव प्रक्रिया रद्द किए जाने की अब तक स्पष्ट वजह सामने नहीं आई है। राष्ट्रपति पद के लिए नया चुनाव कब होगा, इस बारे में चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट की राय लेगा और उसके बाद ही चुनाव कराए जाएंगे। कोर्ट में प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव तथा जमूहरी पार्टी ने चुनाव प्रक्रिया को लेकर अर्जी लगाई थी, लेकिन कोर्ट ने अर्जी पर दलील सुनने से यह कहते हुए मना कर दिया कि यह राष्ट्रीय मामला है और इसमें कोर्ट के सातों न्यायाधीशों की मौजूदगी जरूरी है। एक न्यायाधीश विदेश यात्रा पर हैं और उनके आने के बाद ही याचिका पर सुनवाई हो सकती है। 
         
राष्ट्रपति मोहम्मद वहीद हसन का कहना है कि देश में 26 अक्टूबर तक चुनाव करा लिए जाएंगे। संविधान के अनुसार वहां अगले माह 11 नवंबर तक राष्ट्रपति को शपथ ग्रहण कर लेनी चाहिए, इसलिए 10 नवंबर तक चुनाव प्रक्रिया पूरी होनी जरूरी है। इससे पहले वहां सात सितंबर को दूसरी बार आम चुनाव कराए गए था, लेकिन किसी उम्मीदवार को जरूरी 50 फीसदी मत नहीं मिले, इसलिए 28 सितंबर को दूसरे चरण के मतदान कराने का फैसला किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने उसे रद्द कर 20 अक्टूबर तक नया चुनाव कराने का आदेश दिया था, लेकिन शनिवार को चुनाव प्रक्रिया शुरू होती, उससे पहले ही चुनाव आयुक्त ने बताया कि पुलिस ने आयोग का काम रोक दिया है।  
      
मालदीव 1190 छोटे छोटे द्वीपों का देश है और वहां 200 द्वीपों पर आबादी बसी है। देश में 80 से अधिक रिसॉर्ट हैं। इस देश की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से पर्यटन और मछली पकड़ने के व्यवसाय पर ही टिकी है। यह देश अंग्रेजों की दासता से 1965 में मुक्त हुआ और वहां की शासन व्यवस्था दूसरी सल्तनत के हाथों शुरू हुई।  
      
पहली बार 2008 में वहां लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत चुनाव हुए और डॉक्टर मोहम्मद नशीद लोकतांत्रिक व्यवस्था से देश के पहले राष्ट्रपति चुने गए, लेकिन सात फरवरी 2012 को उपराष्ट्रपति वहीद ने तख्ता पलट करके उन्हें हटा दिया और स्वंय राष्ट्रपति बन गए। इसी बीच उन्होंने डॉक्टर नशीद को बंधक बनाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें वहां भारतीय दूतावास में शरण दी गई, ताकि मालदीव में लोकतंत्र फिर से शुरू किया जा सके। भारत की वहां बडी भूमिका है और विश्व समाज का मानना है कि माले में भारत की अहम भूमिका की वजह से लोकतंत्र स्थापित हो सकता है। 
        
मालदीव राष्ट्रमंडल देशों का भी सदस्य है और अगले माह श्रीलंका में इन देशों के प्रमुखों की बैठक होनी है। इस बैठक में मालदीव की स्थिति पर गंभीरता से विचार विमर्श हो सकता है। इस बीच डॉक्टर नशीद ने भी विश्व समुदाय से मालदीव में लोकतंत्र की बहाली के लिए हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है। पिछले माह हुए चुनाव में उन्हें बहुमत के लिए आवश्यक 50 प्रतिशत की तुलना में 45 फीसदी मत मिले थे, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी को महज 25 प्रतिशत मत ही मिले थे। 

(लेखक अंकुर विजयवर्गीय जनसंचार विभाग के पूर्व छात्र हैं और हिन्दुस्तान टाइम्स समूह से जुड़े हैं।)

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